Notification Bell

India Foreign Policy: अमेरिका से दूरी, रूस-चीन से नज़दीकी

भारत इन दिनों अपनी आर्थिक नीतियों में कुछ अहम बदलावों पर काम कर रहा है। सरकार का फोकस स्थानीय उद्योगों को और मजबूत बनाने पर है, ताकि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बनी रहे। इसके लिए नियमों में ढील और मुद्रा प्रबंधन पर ज़ोर दिया जा रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, उद्योग-नियमों को आसान बनाने से छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को फायदा मिलेगा। अभी तक कई कंपनियाँ जटिल प्रक्रियाओं और लाइसेंसिंग की वजह से तेज़ी से बढ़ नहीं पा रही थीं। नियम सरल होने से निवेश बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।

मुद्रा अवमूल्यन की नीति पर भी चर्चा हो रही है। इसका मतलब यह है कि रुपये की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर थोड़ी कम रखी जाए ताकि भारत का निर्यात ज्यादा आकर्षक बने। जब भारतीय सामान सस्ते दामों पर विदेशों तक पहुँचेंगे, तो वैश्विक बाज़ार में भारत की पकड़ मज़बूत होगी। हालाँकि इसका असर आयात पर पड़ सकता है क्योंकि विदेश से आने वाला सामान महँगा हो जाएगा।

कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह कदम अल्पकालिक मुश्किलें ला सकता है, लेकिन लंबे समय में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने में मदद करेगा। सरकार की सोच यह है कि घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन मिले और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत “मैन्युफैक्चरिंग हब” के रूप में अपनी जगह पक्की करे।

कुल मिलाकर, नियमों में ढील और मुद्रा प्रबंधन, दोनों को भारत की आर्थिक रणनीति के अहम हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। आने वाले समय में यह नीति कितनी सफल होती है, यह निवेश और निर्यात के आँकड़ों से साफ़ हो सकेगा।

Share:

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter
LinkedIn