
ऑस्ट्रेलिया की Competition and Consumer Commission (ACCC) ने टेक दिग्गज Google के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। मामला उन एक्सक्लूसिव डील्स से जुड़ा है, जिनमें Google ने Telstra और Optus जैसी बड़ी कंपनियों के साथ समझौता किया था। इन समझौतों के तहत, एंड्रॉइड फोन में Google Search पहले से इंस्टॉल (pre-installed) आता था।
Google ने इस केस में अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार कर ली है। अब कंपनी पर 55 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 450 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव रखा गया है।
ACCC का कहना है कि इन डील्स से मार्केट में प्रतिस्पर्धा (competition) पर असर पड़ा। जब किसी फोन में पहले से एक सर्च इंजन मौजूद हो, तो बाकी कंपनियों के लिए मौके काफी कम हो जाते हैं। इसका सीधा असर उपयोगकर्ताओं की पसंद और बाजार की निष्पक्षता पर पड़ता है।
Google का तर्क है कि उपयोगकर्ता चाहे तो अपना डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन बदल सकते हैं, लेकिन नियामकों का मानना है कि अधिकांश लोग पहले से मौजूद विकल्प का ही इस्तेमाल करते हैं। इसी कारण यह डील्स बाजार को एकतरफा बनाने का काम करती हैं।
यह मामला ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में टेक कंपनियों के बाजार पर कब्ज़ा जमाने के तरीकों को लेकर बहस को और तेज करेगा। हाल के सालों में अमेरिका और यूरोप में भी Google और अन्य बड़ी कंपनियों पर इसी तरह के एंटी-ट्रस्ट केस चलते रहे हैं।
आने वाले दिनों में अदालत का अंतिम फैसला तय करेगा कि Google को कितनी बड़ी सजा मिलेगी।