
चीन अगस्त के अंत में तियानजिन में एक अहम शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने जा रहा है। इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी शामिल होंगे। यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दायरे में हो रही है और माना जा रहा है कि इसका असर सिर्फ क्षेत्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी दिखेगा।
इस समय दुनिया में कई जटिल परिस्थितियाँ बनी हुई हैं — यूक्रेन संकट, पश्चिमी देशों और रूस के बीच तनाव, और साथ ही एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा। ऐसे समय में चीन की मेज़बानी में यह मुलाकात कई संकेत दे रही है। एक तरफ रूस और चीन अपने रिश्तों को और मज़बूत करना चाहते हैं, वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव की मौजूदगी बताती है कि इस चर्चा का एजेंडा केवल क्षेत्रीय नहीं बल्कि वैश्विक मुद्दों से जुड़ा होगा।
बैठक में ऊर्जा सहयोग, सुरक्षा चुनौतियाँ, और आर्थिक साझेदारी जैसे विषयों पर बातचीत होने की उम्मीद है। खासतौर पर, चीन और रूस पश्चिमी दबाव का सामना करने के लिए आपसी तालमेल को गहराने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, SCO देशों के बीच कनेक्टिविटी और व्यापार को लेकर भी अहम कदम उठाए जा सकते हैं।
भारत भी SCO का हिस्सा है, ऐसे में इस सम्मेलन में लिए गए निर्णयों का असर नई दिल्ली पर भी पड़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बैठक आने वाले महीनों में अंतरराष्ट्रीय समीकरणों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है।