
अमेरिका की राजनीति और न्याय व्यवस्था से जुड़ी एक अहम खबर सामने आई है। एक संघीय जज ने फैसला सुनाया है कि अलीना हब्बा ने ग़ैरकानूनी तरीके से U.S. अटॉर्नी का पद संभाला। यह फैसला उस समय आया है जब उनके कार्यकाल के दौरान हुई नियुक्ति और बर्खास्तगी की प्रक्रिया पर लगातार विवाद होता रहा।
दरअसल, हब्बा को कुछ समय पहले अचानक पद से हटा दिया गया था, लेकिन फिर राजनीतिक दबाव और उलझनों के बीच उन्हें दोबारा बहाल कर दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम ने अमेरिका की न्यायिक नियुक्तियों की पारदर्शिता और राजनीतिक हस्तक्षेप पर कई सवाल खड़े किए।
जज का कहना है कि नियुक्ति की प्रक्रिया कानून के मुताबिक नहीं थी, और इस वजह से हब्बा का उस पद पर बने रहना वैध नहीं माना जा सकता। हालांकि, अदालत ने यह भी साफ किया कि इस फैसले का असर उनके द्वारा लिए गए सभी फैसलों और मामलों पर तुरंत नहीं पड़ेगा।
यह फैसला सिर्फ कानूनी ही नहीं बल्कि राजनीतिक बहस का भी हिस्सा बन गया है। हब्बा को ट्रम्प के नज़दीकी वकील के तौर पर भी जाना जाता है, इसलिए इस मामले को लेकर विपक्षी पार्टियां इसे राजनीतिक लाभ और दखल का उदाहरण बता रही हैं। दूसरी ओर, समर्थक कह रहे हैं कि यह केवल प्रशासनिक त्रुटि थी जिसे ज़रूरत से ज्यादा राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
कुल मिलाकर, यह मामला दिखाता है कि अमेरिका में भी न्यायिक पदों पर नियुक्ति और राजनीति का टकराव कितना संवेदनशील और जटिल हो सकता है।