
रूस ने उम्मीद जताई है कि भारत, अमेरिका के दबाव के बावजूद, उससे कच्चे तेल की खरीद जारी रखेगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक स्तर पर तनाव और ऊर्जा बाज़ार में उतार-चढ़ाव लगातार बने हुए हैं।
भारत दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ताओं में से एक है और अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए वह सस्ते दामों पर रूसी तेल का आयात कर रहा है। इससे देश को आर्थिक राहत भी मिलती है और घरेलू बाज़ार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
दूसरी ओर, अमेरिका और पश्चिमी देश चाहते हैं कि भारत रूस से खरीद कम करे और वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान दे। लेकिन भारत बार-बार साफ कर चुका है कि उसकी प्राथमिकता ऊर्जा सुरक्षा और किफायती सप्लाई है।
रूस का कहना है कि भारत के साथ उसकी ऊर्जा साझेदारी केवल तेल तक सीमित नहीं है, बल्कि आने वाले समय में गैस और अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ सकता है। यह संदेश इस बात की ओर इशारा करता है कि मौजूदा हालात में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध और मज़बूत हो सकते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की रणनीति बहुत व्यावहारिक है। वह वैश्विक दबाव झेलते हुए भी अपनी ज़रूरतों के हिसाब से फैसले ले रहा है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका और पश्चिम इस मुद्दे पर किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं।