
भारत और रूस के बीच व्यापारिक रिश्ते और गहरे होने की ओर बढ़ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, भारत अपने एक्सपोर्ट को रूस की ओर बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है, ताकि अमेरिका की ओर से बढ़ते ट्रेड प्रेशर का संतुलन बनाया जा सके।
पिछले कुछ वर्षों में रूस भारत का एक महत्वपूर्ण ऊर्जा पार्टनर बन चुका है। तेल और गैस के अलावा अब कृषि उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में भी एक्सपोर्ट बढ़ाने की संभावना जताई जा रही है। यह कदम भारत को न सिर्फ नए बाजार देगा बल्कि घरेलू उद्योगों को भी मजबूती प्रदान करेगा।
अमेरिका और पश्चिमी देशों का दबाव लगातार बढ़ रहा है कि भारत रूस से अपनी ऊर्जा और व्यापारिक निर्भरता कम करे। लेकिन भारत का मानना है कि राष्ट्रीय हित और आर्थिक स्थिरता सर्वोपरि हैं। ऐसे में एक्सपोर्ट बढ़ाना दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि यह रणनीति भारत को एक मजबूत आर्थिक संतुलन बनाने में मदद करेगी। वहीं, रूस भी पश्चिमी देशों से अलग-थलग पड़ने के बाद भारत जैसे भरोसेमंद पार्टनर को ज्यादा महत्व दे रहा है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में भारत और रूस के बीच कौन-कौन से नए सेक्टर्स में समझौते होते हैं और यह सहयोग वैश्विक राजनीति पर क्या असर डालता है।