
बिहार में चल रहे जातीय सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि सर्वे जारी रह सकता है। कोर्ट ने राज्य सरकार को सर्वे के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखने की सलाह भी दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्वे के वक्त पहचान के लिए कम से कम तीन तरह के ID को स्वीकार किया जाए: आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर ID। ये सुझाव इसलिए दिए गए ताकि किसी भी नागरिक की पहचान में कोई दिक्कत न हो और प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे।
बिहार सरकार ने पहले ही कहा है कि यह सर्वे जातीय जनगणना नहीं है, बल्कि एक आर्थिक और सामाजिक सर्वे है जिससे राज्य की योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू किया जा सके।
इससे पहले कुछ याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में अपील की थी कि सर्वे को रोका जाए क्योंकि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि जब तक राज्य सरकार निजी जानकारी को सार्वजनिक नहीं करती, तब तक कोई कानूनी बाधा नहीं है।
राज्य सरकार का कहना है कि इस सर्वे से पता चलेगा कि किन वर्गों को किस तरह की सरकारी मदद की ज़रूरत है। इसके आधार पर योजनाएं और नीतियाँ बनाई जाएंगी।
अब देखना होगा कि यह सर्वे आगे जाकर सामाजिक न्याय और विकास की दिशा में कितना असर डालता है।