
सेम्मनकुप्पम (कूड्डालोर), तमिलनाडु, 8 जुलाई 2025 — मंगलवार की सुबह 7:45 बजे, एक निजी स्कूल वैन ने रेलवे लाइन पार करने की कोशिश की, लेकिन छूटे हुए सुरक्षा तंत्र ने इसे रोक नहीं पाया। सामने चलती Villupuram–Mayiladuthurai ट्रेन ने वैन को टक्कर मार दी, जिससे दो बच्चे अब यहीं रह गए—और कुछ अन्य घायल हो गए। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हमारे सुरक्षा तंत्रों की कमज़ोरी और मानवीय भूल को उजागर करती है।
🔍 चौंकाने वाली हकीकत
- मृतक बच्चे: 15 वर्षीय चारुमथी और 10 वर्षीय वेंकटेश उस दिन की कोविड से घायल हो गए ।
- घायलों की संख्या: दो अन्य छात्र और वैन का ड्राइवर गंभीर चोटों के साथ अस्पताल में भर्ती ।
- टक्कर की तीव्रता: ट्रेन वैन को करीब 50 मीटर तक खींचते हुए लाई ।
⚠️ जिम्मेदारी और लापरवाही
- रेलवे अधिकारियों का कहना है कि गेटकीपर ने गेट बंद करना शुरू किया, लेकिन ड्राइवर के दबाव में उसे पार कर गए, जो “अनुमत नहीं था” ।
- वहीं कुछ स्थानीय दावे करते हैं कि गेटकीपर नींद में था और समय से गेट बंद नहीं हुआ ।
🛡️ प्रशासन की जवाबदेही
- मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने तुरंत ₹5 लाख मुआवज़ा घोषित किया, गंभीर रूप से घायलों को ₹1 लाख, और मामूली चोटों पर ₹50,000 ।
- रेलवे ने गेटकीपर पंकज शर्मा को निलंबित कर दिया। साथ ही, सुरक्षा, संचालन और इंजीनियरिंग टीमें जांच में जुटी हैं ।
- स्थानीय लोग स्थिती से नाराज होकर गेटकीपर पर हमला करने भी उतरे, जिससे पुलिस तैनात करनी पड़ी ।
😢 पीड़ितों की प्रतिक्रिया
“हमारे बच्चों की ज़िंदगी बेमानी चली गई… ये सिर्फ एक अनहोनी नहीं थी, बल्कि बड़ी लापरवाही थी।” – गुस्साए परिजन।
🚧 सिस्टम की खामी
- यह गैर-इंटरलॉक्ड और गार्डनमैन वाले गेट नंबर 170 पर हुआ हादसा है, जो सुरक्षा मानकों के अनुसार पर्याप्त इंटरलॉकिंग नहीं करता ।
- स्थानीय लोग रेल और स्कूल वैन के बीच सुरक्षा फ़र्क पर्याप्त बनाने की मांग कर रहे हैं।
🧭 शिक्षा और आग्रह
- ट्रेन मार्ग पार करते समय सदैव रुकें—कुरुटी या संकेत ना होने पर न जाएँ।
- गेटकिपर और ड्राइवर को अनुशिक्षण दें—कि जिम्मेदारी से डरें, न कि जिम्मेदारी से।
- रेलवे गेटों में इंटरलॉकिंग तकनीक ज़रूरी है—मैनुअल भूलें जान लीलने वाली बन सकती हैं।
- समुदाय जागरूकता जरूरी है—मूल विद्यालयों और स्थानीय सभा में जीवन सुरक्षा प्रशिक्षण।
✨ निष्कर्ष
यह हादसा बच्चों की मासूमियत पर भारी पड़ा, हमारे सिस्टम की बड़ी खामी और मानवीय भूल को उजागर करता है। समय है कि सार्वजनिक सुरक्षा को सिर्फ नीतियों का बकाया नहीं, बल्कि ज़िंदा हिफ़ाज़त से जोड़ें।