
जब भी भारतीय क्रिकेट की बात होती है, अनिल कुंबले का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। लेकिन इस दिग्गज स्पिनर की ज़िंदगी में एक और नाम है जो लाइमलाइट से दूर रहते हुए भी बेहद खास है — उनकी पत्नी चेथना रामतीर्था।
13 जून 2025 की तारीख में भी चेथना का नाम चुपचाप सुर्खियों में बना हुआ है — एक महिला जो न सिर्फ एक माँ के रूप में लड़ी, बल्कि समाज की बंदिशों को तोड़ते हुए एक नई शुरुआत की मिसाल बनी।
💔 कस्टडी की जंग: माँ बनाम समाज
चेथना की ज़िंदगी में सबसे कठिन दौर तब आया जब उन्होंने अपनी पहली शादी से जन्मी बेटी आरूणी की कस्टडी के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी।
पूर्व पति कुमार वी. जहागीरदार के साथ यह मामला आम पारिवारिक विवाद से कहीं आगे बढ़ गया। यह केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा, जहाँ अंत में जीत चेथना की हुई।
सबसे खास बात? कोर्ट ने अनिल कुंबले को आरूणी का कानूनी अभिभावक घोषित किया — एक मिसाल जो आज भी परिवार और कानून के बीच संतुलन का उदाहरण मानी जाती है।
💑 प्यार जो परंपराओं से टकराया
चेथना और अनिल कुंबले ने 1999 में शादी की। एक तलाकशुदा महिला का भारत जैसे देश में फिर से शादी करना, वो भी इतने मशहूर व्यक्ति से — आसान नहीं था। लेकिन दोनों ने हर आलोचना को नजरअंदाज कर, एक मजबूत रिश्ता बनाया।
इनका रिश्ता दर्शाता है कि प्यार अगर सच्चा हो, तो समाज की दीवारें भी गिर सकती हैं।
👩👧👦 कुंबले परिवार की मूक महारानी
जहाँ कई सेलिब्रिटी पत्नियाँ सोशल मीडिया और पब्लिक इवेंट्स में छाई रहती हैं, वहीं चेथना हमेशा परदे के पीछे रहीं। लेकिन यही उनकी असली ताकत है।
तीन बच्चों — आरूणी, मायस, और स्वस्ति — की परवरिश में उन्होंने वो संतुलन और संयम दिखाया, जो हर परिवार की नींव होती है।
चेथना ने यह साबित किया कि महिला होना, गृहिणी होना और चुप रहकर भी शक्तिशाली होना — ये सब एक साथ संभव है।
💬 2025 में भी क्यों है चेथना का नाम चर्चा में?
क्योंकि वो सिर्फ एक क्रिकेटर की पत्नी नहीं, बल्कि उस दौर की प्रतीक हैं, जहाँ महिलाएं अपने फैसलों के लिए खड़ी होती हैं।
उन्होंने कभी इंटरव्यू नहीं दिए, ना ही मीडिया का सहारा लिया। उनकी खामोशी ही उनकी ताकत है।