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कुंड माला पुल हादसा: पुणे में मौत की चीखों से गूंज उठा इंद्रायणी किनारा

पुणे, महाराष्ट्र – 15 जून 2025:
एक शांत रविवार दोपहर देखते ही देखते मातम में बदल गई जब पुणे जिले के कुंड माला क्षेत्र में स्थित एक पुराना पुल इंद्रायणी नदी की उफनती लहरों में समा गया। इस दर्दनाक हादसे में दो लोगों की मौत हो गई है, कई घायल हैं और अनेक अब भी लापता बताए जा रहे हैं।

🌧️ भीड़, बारिश और पुल की टूटी सांस – त्रासदी की कहानी

करीब 1991 में किसानों के इस्तेमाल के लिए बना “सकपौल पुल”, समय के साथ एक प्रसिद्ध पर्यटन और धार्मिक स्थल बन गया। लेकिन बार-बार की मरम्मत और स्थानीय चेतावनियों के बावजूद, प्रशासन की लापरवाही और भीड़ नियंत्रण की कमी इस हादसे का बड़ा कारण बनी।

तेज बारिश के कारण नदी उफान पर थी और जब पुल पर ज्यादा लोग जमा हो गए, तो वो अचानक धड़ाम से टूट गया। चंद सेकंड में ही हंसी-खुशी चीखों और आँसुओं में बदल गई।


🚨 रेस्क्यू ऑपरेशन: मौत से लड़ाई जारी

घटना के तुरंत बाद NDRF, स्थानीय पुलिस, फायर ब्रिगेड और आपदा प्रबंधन टीमों को मौके पर भेजा गया। हर मिनट कीमती है — क्योंकि बहाव तेज है और कई लोग अब भी लापता हैं।

  • अब तक 38 लोगों को बचाया गया
  • 32 घायल, जिनमें से 6 की हालत नाजुक
  • 2 लोगों की मौत की पुष्टि
  • कई लोग अब भी लापता

टीमें नावों और रस्सियों की मदद से खोज और बचाव कार्य में जुटी हैं, लेकिन तेज बहाव और कीचड़ ने चुनौती को कई गुना बढ़ा दिया है।


🏛️ राजनीति में उबाल: लापरवाही पर सवाल

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना पर शोक जताते हुए पीड़ित परिवारों को सांत्वना दी और राहत का आश्वासन दिया।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने चेताया कि यदि पुल की देखरेख में लापरवाही पाई गई, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा, “बारिश के मौसम में सुरक्षा बेहद ज़रूरी है। प्रशासन को भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू करना होगा।”


🧱 सवालों में पुल: क्या सिर्फ मौसम जिम्मेदार है?

चार साल पहले पुल की सतही मरम्मत की गई थी, लेकिन कोई मजबूत स्ट्रक्चरल जांच नहीं हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल कमजोर हो चुका था और उस पर बार-बार भारी भीड़ और वाहनों का दबाव बना रहता था।

हालांकि, प्रशासन की ओर से पर्यटकों को सावधानी बरतने की अपील की जाती रही, लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया — और उसकी कीमत अब जान देकर चुकानी पड़ी है


📷现场 से झलकियाँ:

  • उफनती नदी में बहे कपड़े और सामान
  • अपने प्रियजनों की खबर की तलाश में तड़पते लोग
  • रस्सियों से निकाले जा रहे घायलों के वीडियो वायरल
  • बचाव दल की नॉन-स्टॉप मेहनत

🔍 यह सिर्फ एक हादसा नहीं — यह सिस्टम की विफलता है

इस पुल की त्रासदी ने सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या भारत की पुरानी इन्फ्रास्ट्रक्चर संरचनाएं मौसम की मार सहने लायक हैं?
हर साल बारिश आती है, लेकिन अगर सतर्कता और विज्ञान के साथ सुरक्षा न हो — तो हादसे दोहराए जाएंगे।

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