
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस का तीन दिन का दौरा शुरू किया है। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत और अमेरिका के रिश्तों के बीच नई राजनीतिक हलचल देखी जा रही है और रूस के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी भी सुर्खियों में है।
मॉस्को में जयशंकर की कई अहम बैठकों का कार्यक्रम तय है। माना जा रहा है कि वे ऊर्जा सहयोग, रक्षा सौदे और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात पर बातचीत करेंगे। खासकर यूक्रेन संकट और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बीच भारत की भूमिका को लेकर चर्चा होना तय माना जा रहा है।
भारत और रूस के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं। रक्षा क्षेत्र से लेकर ऊर्जा आपूर्ति तक, दोनों देशों ने दशकों से एक-दूसरे का साथ दिया है। हाल के वर्षों में हालांकि, भारत के अमेरिका और यूरोप के साथ बढ़ते रिश्तों को लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में जयशंकर का यह दौरा संतुलन बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि यह यात्रा भारत के लिए बहुपक्षीय कूटनीति का हिस्सा है। एक तरफ अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों को मजबूत करना, वहीं रूस के साथ पुराने भरोसे को कायम रखना – यही भारत की विदेश नीति का मूल रहा है।
कुल मिलाकर, जयशंकर की यह यात्रा भारत की उस नीति को दर्शाती है जिसमें वह किसी एक खेमे में बंधे बिना, अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार संतुलित संबंध बनाए रखना चाहता है।