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आतंकवाद: मानवता का सबसे ख़तरणाक दुश्मन — पीएम मोदी का BRICS समिट में तीखा अंदाज़

जुलाई 6, 2025 | रियो डी जनेरियो — शुक्रवार को ब्राज़ील में आयोजित 17वें BRICS शिखर सम्मेलन के ‘शांति और सुरक्षा’ सत्र में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को मानवता के खिलाफ शर्मनाक हमला करार देते हुए कहा:

“पाहलगाम में 22 अप्रैल को हुए इस नृशंस कृत्य ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की आत्मा को हिला दिया।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद की मंशा चाहे जो हो, कहीं भी और कभी भी उसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए—ये केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, मानवीय सिद्धांत होना चाहिए।


प्रमुख वक्तव्य और नये एजेंडे

  • “प्रिंसिपल नहीं, सुविधानुसार नहीं”: पीएम ने कहा कि आतंकवाद पर प्रतिक्रिया कभी राजनीतिक हितों या स्थान-निर्भर नहीं होनी चाहिए। यह एक “मानवता का मुद्दा” है, जहाँ भोतिक और नैतिक दोनों स्तरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
  • BRICS का संयुक्त नारा: सम्मेलन में शामिल सभी देशों ने इस हमलों की निंदा की, और “डबल स्टैंडर्ड” नीति का विरोध किया। उन्होंने आतंकियों और उनके प्रायोजकों के खिलाफ मिलकर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही।
  • ग्लोबल गवर्नेंस सुधार की पुकार: मोदी ने वैश्विक संस्थानों—जैसे UN सुरक्षा परिषद, IMF, वर्ल्ड बैंक—की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए इन्हें तुरंत और व्यापक रूप से पुनर्गठित करना चाहिए।
  • Global South की आवाज़ बुलंद: उन्होंने कहा, “BRICS राष्ट्र विभाजन नहीं बल्कि बहु-मूल्य वैश्विक व्यवस्था का प्रतीक हैं” — जिसमें विविधता ताकत बन सकती है और सहयोग नया आचरण।

इस खबर का विश्लेषण

भारत का यह धक्का न केवल एक कूटनीतिक संदेश है, बल्कि वैश्विक मंच पर सशक्त आत्मविश्वास और नीतिगत स्पष्टता भी दर्शाता है। पीएम मोदी की स्थिति स्पष्ट थी: या तो आतंक के खिलाफ सुनियोजित कार्रवाई या फिर मानवीय और नैतिक दृष्टिकोण से मौन समर्थन करना। इसके अलावा, वे ग्लोबल साउथ और बहुभ्रांत युग के समर्थन में एक नया विमर्श लाना चाह रहे हैं।

BRICS ने एक सर्वसम्पन्न घोषणा जारी की जिसमें आतंकवाद, आतंक-फंडिंग और अराजकते के खिलाफ वैश्विक कानूनों की लैंगिक समीक्षा और कमज़ोर देशों की आर्थिक सहायता जैसे मुद्दे प्रमुखता से शामिल हैं।


क्यों है ये खबर वैश्विक:

  • वैश्विक आतंकवाद आज मानवता के लिए सबसे बड़ा संकट माना जा रहा है, और भारत ने इसे एक मानव अधिकार मुद्दा भी बना दिया।
  • BRICS के संपन्न देशों का एकजुट समर्पण एक ऐसा संदेश है जो आतंकियों और उनके सहायताकारियों के लिए चेतावनी है।
  • साथ ही, ग्लोबल गवर्नेंस सुधार की दलील से विकसित-और-विकासशील राष्ट्रों का बराबरी का मंच बनाने की दिशा में कदम उठाया जा रहा है।

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