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मुंबई लोकल में दर्दनाक हादसा: ठसाठस भीड़ का कहर, 6 की मौत, 7 घायल — अब बदलेंगे सारे लोकल ट्रेन के दरवाज़े!

मुंबई की रफ्तार उस वक्त थम सी गई जब ठाणे के पास मुंब्रा स्टेशन पर एक भयावह हादसे में 6 लोगों की जान चली गई और 7 गंभीर रूप से घायल हो गए, जब एक अत्यधिक भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेन से यात्री गिर पड़े। हादसा सुबह के पीक समय पर हुआ, जब अधिकांश लोग अपने ऑफिस की ओर रवाना हो रहे थे।


📍 हादसे की दिल दहला देने वाली कहानी

सुबह 9 बजे, दिवा और कोपर स्टेशनों के बीच, सेंट्रल रेलवे की एक नॉन-AC लोकल ट्रेन में भीड़ इतनी अधिक थी कि दर्जनों यात्री दरवाज़ों की चौखट से लटके हुए थे। अचानक संतुलन बिगड़ने से 13 लोग नीचे गिर गए
इसमें से 6 की मौके पर ही मौत हो गई, जिनमें एक ऑन-ड्यूटी रेलवे पुलिसकर्मी विक्की मुखयाडल (34 वर्ष) भी शामिल थे। बाकी घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया।

“लोगों की चीखें और गिरने की आवाज़ें अब भी कानों में गूंज रही हैं,” – एक प्रत्यक्षदर्शी


🛑 रेलवे का जवाब: अब ‘दरवाज़ा बंद, ज़िंदगी सुरक्षित’

इस हादसे ने भारतीय रेलवे को हिला कर रख दिया है।
रेलवे ने तत्काल बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि मुंबई की सभी नई नॉन-AC लोकल ट्रेनों में अब ऑटोमैटिक डोर क्लोजिंग सिस्टम लगाया जाएगा।
इसका पहला मॉडल जनवरी 2026 तक ट्रैक पर उतरने की उम्मीद है।

रेलवे बोर्ड के अनुसार, मौजूदा सभी रेक्स को भी अब नए डिज़ाइन के तहत बदला जाएगा।


📊 मुंबई की लोकल और मौत का खौफनाक रिश्ता

मुंबई की लोकल ट्रेनों में सफर करना जितना ज़रूरी है, उतना ही खतरनाक भी।
पिछले 20 सालों में 51,000 से अधिक मौतें केवल सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे नेटवर्क पर दर्ज की गई हैं।

  • लाइन क्रॉसिंग से मौतें: ठाणे और बोरीवली सबसे अधिक प्रभावित
  • चलती ट्रेन से गिरने के मामले: कल्याण और वसई टॉप पर
  • 2023-24 में मौतों का ग्राफ और बढ़ा despite सुरक्षा उपाय

🔧 आगे की रणनीति: अब ज़रूरत है बदलाव की, बहाने की नहीं

रेलवे ने तय किया है कि भविष्य में हर ट्रेन में स्मार्ट डोर मैकेनिज़्म, भीड़ मॉनिटरिंग टेक्नोलॉजी, और CCTV निगरानी जरूरी होगी।
यात्रियों और सामाजिक संगठनों का कहना है:

“हादसे नहीं, सुधार चाहिए। अब वक्त है कि यात्रियों की जान को प्राथमिकता मिले।”


⚖️ निष्कर्ष: अब वक्त है ट्रैक बदलने का, सोचने का नहीं

मुंबई की लाइफलाइन — लोकल ट्रेन — हर दिन करोड़ों लोगों को मंज़िल तक पहुंचाती है, लेकिन उसी ट्रैक पर कई ज़िंदगियाँ भी खत्म हो जाती हैं।
मुंब्रा की यह घटना सिर्फ हादसा नहीं, एक चेतावनी है।

अब सिर्फ सफर नहीं, सुरक्षा भी चाहिए!

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